’माटी’ न्यास, नई दिल्ली द्वारा पूर्वांचल महोत्सव आयोजित लोक संस्कृति से जुड़ कर संजोएं जीवन की उत्सवधर्मिता - राज्यपाल

’माटी’ न्यास, नई दिल्ली द्वारा पूर्वांचल महोत्सव आयोजित लोक संस्कृति से जुड़ कर संजोएं जीवन की उत्सवधर्मिता - राज्यपाल
जयपुर, 5 मार्च। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि लोक संस्कृति, बोलियों, परंपराओं और खान-पान की भिन्नता से विविधता में एकता की हमारी संस्कृति जीवंत होती है। उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति से जुड़कर ही हम हमारे जीवन से जुड़ी उत्सवधर्मिता को संजोकर रख सकते हैं । 
राज्यपाल श्री मिश्र रविवार को नई दिल्ली में ’माटी’ न्यास द्वारा आयोजित ’पूर्वांचल महोत्सव’ में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक दृष्टि से भारत का अनुपम राज्य है। विशेषकर पूर्वांचल का जो हिस्सा है, वह अपने आप में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अनूठा है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल आरम्भ से ही ज्ञान और विद्या से जुड़ी परम्पराओं का गढ़ रहा है और आधुनिक भारत के निर्माण में इस क्षेत्र ने महती भूमिका निभाई है।
राज्यपाल ने पूर्वांचल की कलाओं, संस्कृति, खान-पान और रहन-सहन आदि को बचाए रखने के लिए ऐसे आयोजनों के जरिए प्रयास करने के लिए माटी संस्था की सराहना की। उन्होंने कहा कि हमारे देश की वास्तविक संस्कृति कहीं दिखाई देती है तो वह इस तरह के उत्सवों में ही दिखाई देती है। उन्होंने पूर्वांचल की कवि-कवियित्रियों के बहुभाषी कविता संग्रह और स्वतंत्रता सेनानियों पर प्रकाशित ’माटी के महायोद्धा’ पुस्तक के लिए भी शुभकामनाएं दी । 
राज्यपाल श्री मिश्र ने इस अवसर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह, बिग्रेडियर श्री संजय कुमार मिश्रा, इंडियन क्रिकेटर श्री निखिल चौपड़ा, इंटेल इण्डिया की कंट्री हैड श्रीमती निवृति राय, फिल्म और टीवी एक्टर श्री विनीत सिंह, एनआरई प्रेजिडेंट बहरीन प्राइड श्री शकील ए. जी को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिए माटी सम्मान प्रदान किए । 
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के और ’माटी’ संस्था के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय ने पूर्वांचल महोत्सव के आयोजन के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि मिट्टी की खुशबू में रची-बसी लोक संस्कृति की अपनी अलग ही मिठास होती है। 
इस अवसर पर माटी न्यास के संयोजक श्री आसिफ़ आज़मी सहित गणमान्यजन और पूर्वांचल बंधु उपस्थित रहे।