आखिरकार खत्म हो ही गई है "राइट टू हेल्थ" की हड़ताल

आखिरकार खत्म हो ही गई है "राइट टू हेल्थ" की हड़ताल
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◆ पिछले 2 सप्ताह से राजस्थान में जो डॉक्टरों द्वारा राइट टू हेल्थ के विरोध में राजस्थानी जयपुर में जो हड़ताल चल रही थी उसकी सरकारी बातचीत के साथ ही आज खत्म हो गई।

◆ आंदोलन एक गुट द्वारा खत्म किया गया है लेकिन दूसरा गुट इस आंदोलन जारी रखेगा।

◆ यह आंदोलन सरकारी वार्ता के साथ जो हो आश्वासन दिया गया है उसके तहत खत्म की गई है और आज 30 मार्च से ही वापस काम पर लौटेंगे डॉक्टर और ओपीडी संभालेंगे।



इस पूरे मामले पर एक नजर

◆  रेजिडेंट्स के इस आंदोलन से प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक और दूसरे डॉक्टर्स के आंदोलन को बड़ा झटका लगा है। वहीं जयपुर रेजीडेंट्स डॉक्टर्स की एसोसिएशन (जार्ड) में इस निर्णय को लेकर दो फाड़ की स्थिति हो गई है।

◆  रेजीडेंट्स डॉक्टरों के गुट ने रात करीब 12 बजे अलग से जनरल बॉडी की मिटिंग करते हुए फैसले को मानने से इंकार कर दिया और आगे भी आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है।

◆ कल 29 मार्च  देर रात मेडिकल हैल्थ एजुकेशन के सेक्रेट्री और अन्य अधिकारियों संग हुई रेजिडेंट्स डॉक्टर्स की बैठक में चार मांगों पर सहमति बनने के बाद जयपुर रेजीडेंट्स समेत दूसरे जिलों के मेडिकल कॉलेजों के रेजीडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आंदोलन खत्म करने का एलान किया। 

◆ इस एलान के साथ ही आज 30 मार्च को सुबह से रैजीडेंस काम पर लौटेंगे और हॉस्पिटल में ओपीडी, आईपीडी और अन्य सर्विस संभालेंगे। ◆ आज 30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस के राजकीय अवकाश होने के कारण ओपीडी केवल 2 घंटे (सुबह 9 से 11 बजे तक) ही संचालित होगी।

◆ एसएमएस हॉस्पिटल के आरडी हॉस्टल के रेजिडेंट्स ने हड़ताल को जारी रखने का फैसला किया है। इसके साथ ही एक लेटर एसएमएस प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्‌टा को लिखकर अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है। इसके लिए बकायदा इन डॉक्टर्स की ओर से एक संघर्ष समिति बनाने का भी एलान किया है।




इन सहमति के साथ सरकार और रेजिडेंट्स के बीच हुआ समझौता

◆ सीनियर रेजीडेंट्स को वर्तमान वेतन में डीए के साथ हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) दिए जाने के लिए प्रस्ताव वित्त विभाग को भिजवाए।

◆ साल 2020 के बाद प्रवेश लेने वाले रेजीडेंट्स के लिए जारी बॉण्ड पॉलिसी के तहत सीनियर रेजीडेंट्स एलॉटमेंट प्रक्रिया की प्रभावी नीति बनाने के लिए रेजीडेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी शामिल किया जाए।

◆ वर्तमान में जिन रेजीडेंट्स डॉक्टर्स ने पिछले दिनों हड़ताल के कारण छुट्‌टी की उसे डे ऑफ या राजकीय अवकाश में समायोजित करके वेतन की कटौती न की जाए।

क्या है राइट टू हेल्थ बिल

◆ सरल भाषा में कहे तो प्रत्येक नागरिक जो राज्य में निवास करता है उसको स्वास्थ्य संस्था में पूर्व भुगतान के बिना आपातकालीन उपचार देने के साथ ही मुफ्त इलाज का लाभ उठाने का अधिकार है राइट टू हेल्प बिल 

◆ इसी को स्वीकृति प्रदान करना के विरोध में राजस्थान में आंदोलन हो रहा था।

◆ इसके राइट टू हेल्थ बिल के तहत आपातकालीन इलाज कराने वाले व्यक्ति को न तो सरकारी और न ही निजी अस्पताल और न ही डॉक्टर मना कर सकते हैं।

◆ विधेयक राजस्थान के निवासियों को किसी भी नैदानिक प्रतिष्ठान में मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने का प्रावधान करता है। 

◆ राज्य का कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त आउटडोर और इनडोर रोगी विभाग सेवाओं, परामर्श, दवाओं और निदान का लाभ उठा सकता है; पूर्व भुगतान के बिना सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं पर आपातकालीन उपचार और देखभाल; और सभी स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों द्वारा रेफरल परिवहन तक पहुंच। 

◆ निवासी सभी स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों में मुफ्त परिवहन, मुफ्त उपचार और सड़क दुर्घटनाओं के खिलाफ मुफ्त बीमा कवरेज का लाभ उठा सकते हैं। हालाँकि, यह कुछ मुद्दों को उठाता है। इन्हीं मुद्दों को डॉक्टर ने मिलकर उठाया है खासतौर से जो प्राइवेट संस्थाएं हैं उन्होंने क्योंकि यह बिल्कुल को अपने अनुकूल नहीं लग रहा था इसीलिए उन्होंने इस को लेकर आंदोलन किया।

निष्कर्ष: पिछले 2 हफ्तों से हो रहे इस बिल के आंदोलन में एक तरफ यह सुखद पहलू है कि इन आंदोलनकारियों के एक गुट द्वारा इन शर्तों के साथ जो सहमति प्रदान करके उससे हड़ताल तो खत्म हो गई है लेकिन दूसरा गुट इस आंदोलन को जारी रखने के लिए अभी भी अड़ा हुआ है अब इसमें से बहुत सारी संभावनाएँ और दुविधाएँ दोनों निकल कर आ सकती है लेकिन एक बार के लिए तो यह आंदोलन एक गुट द्वारा खत्म करने से सरकार को राहत की सांस मिली है।