शहीद दिवस

शहीद दिवस

स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले तीन विरले क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को उनके शहादत दिवस पर उनको विनम्र श्रद्धांजलि



संक्षिप्त जीवन परिचय

भगत सिंह जीवन परिचय

जन्म: 27 सितंबर,1960 लायलपुर (पंजाब)

पिता: सरदार किशन सिंह संधू 

माता:  विद्या कौर

 शहादत: 23 मार्च, 1931

सुखदेव

जन्म: 15 मई, 1907(लुधियाना)

 पिता: रामलाल थापर

 माता: रल्ली देवी

शहादत: 23 मार्च, 1931

राजगुरु 

जन्म: 24 अगस्त ,1908 (राजगुरूनगर) 

पिता: हरि नारायण 

माता: पार्वती बाई

शहादत: 23 मार्च, 1931



क्यों मनाया जाता है 23 मार्च को शहादत दिवस

◆ आज ही के दिन 23 मार्च 1931 के दिन शहीद-ए-आजम भगत सिंह के साथ उनके क्रांतिकारी राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढ़ा दिया गया था उसी को ध्यान में रखकर इन क्रांति वीरों की शहादत को नमन करने हेतु प्रतिवर्ष दिवस 23 मार्च को शहीद दिवस एवं ‘सर्वोदय दिवस’ के रूप में भी जाना जाता है।

फांसी के कारण

◆ इसी दिन शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1931 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या के आरोप में फाँसी पर लटका दिया गया था। 

◆ इन तीनों को फांसी देने के पीछे की एक वजह लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना माना जाता है।

◆ 8 अप्रैल 1929 को उन्होंने केंद्रीय विधानसभा में बम फेंके उसका भी एक कारण यह माना जाता है।

◆ वर्ष 1920 के दौर में उस समय के सभी क्रांतिकारी भारत को आजादी दिलाने में अपनी जान क्यों पड़े थे और उसी दौरान जब साइमन कमीशन मिशन मैं भारत में लाया जा रहा था उसके विरोध में क्रांतिकारी लाला लाजपत राय व अन्य क्रांतिकारियों ने इसका विरोध किया जिसके दौरान उन पर लाठीचार्ज कर दिया गया लालाजी को लगी चोट की वजह से उनका इंतकाल हो गया उसी का बदला लेने के लिए इन तीनों क्रांतिकारियों ने लाहौर में पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट को मारने की योजना बनाई जिसमें वह पहचानने में गलती होने के कारण हमले में अप्पर पुलिस अधीक्षक जॉन सांडर्स मारा गया उसी के परिणाम शॉपिंग पर ब्रिटिश हुकूमत ने केस बनाया और इनकी लोकप्रियता को बर्थडे कर इनको फांसी के फंदे पर पहुंचाने के लिए यह फैसला सुनाएं

◆ इन सभी क्रांतिकारियों भारत मां को आजादी दिलाने में हंसते-हंसते अपनी जान को लुटा दिया ताकि उनसे प्रेरणा लेकर आगे भी भारत के लिए ऐसे क्रांतिकारी वीर अपने देश के लिए लग सके।

भगत सिंह के जीवन से जुड़ें हुए तथ्य

◆ उन्होंने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। 

इनका पालन पोषण पंजाब के जालंधर ज़िले में संधू जाट किसान परिवार में हुआ।

◆ वर्ष 1923 में भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज, लाहौर में प्रवेश लिया, जिसकी स्थापना और प्रबंधन लाला लाजपत राय एवं भाई परमानंद द्वारा किया था।

◆ वर्ष 1924 में भगतसिंह कानपुर में सचिंद्रनाथ सान्याल द्वारा एक साल पहले शुरू किए गए हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (Hindustan Republican Association) के सदस्य बने तथा एसोसिएशन के मुख्य आयोजक चंद्रशेखर आज़ाद थे। 

◆ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य के रूप में भगत सिंह ने ‘बम का  दर्शन’ (Philosophy of the Bomb) को गंभीरता से लेना शुरू किया।

◆  उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ सशस्त्र क्रांति को एकमात्र हथियार माना।

◆ वर्ष 1925 में भगत सिंह लाहौर लौट आए और अगले एक वर्ष के भीतर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ‘नौजवान भारत सभा’ नामक एक उग्रवादी युवा संगठन का गठन किया।

◆ अप्रैल, 1926 में भगत सिंह ने सोहन सिंह जोश के साथ संपर्क स्थापित किया तथा उनके साथ मिलकर ‘श्रमिक और किसान पार्टी’ की स्थापना की।