श्री कृष्ण जन्माष्टमी 19 अगस्त को हैं, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि के दिन हुआ था, इसलिये भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाया जाता हैं। भगवान श्री कृष्ण में श्रद्धा, आस्था व विश्वास रखने भक्तों के लिए श्री कृष्ण की ये मुख्य बातें युवाओं के लिए बहुत जरूरी हैं जैसे धनुर्धारि अर्जुन के लिए थी।
भगवान श्री कृष्ण श्री कृष्ण ने सांदीपनी ऋषि के आश्रम में अध्ययन किया उन्होंने अपने गुरु से ज्ञान प्राप्त किया तथा उन्होंने सोलह कलाएं भी सीखी थी।
महाभारत काल में कुरुछेत्र में जो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण उपदेश दिया वो गीता ज्ञान सम्पूर्ण मानव समाज के लिए प्रेरणादायक व पथ प्रदर्शक हैं।

1. कर्म हमेशा अच्छे करते रहना चाहिए:
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भगवान श्री कृष्ण से यह सलाह व सीख मिलती हैं की हमें जीवन में हमेशा कर्मशील बने रहना चाहिए। व्यर्थ को बातों में जीवन को बर्बाद नहीं करना चाहिए।
2. अपने दोस्त अच्छे बनाएं:
अर्जुन भगवान श्री कृष्ण को सखा मानते थे, मुश्किल घड़ी में भी भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का साथ दिया था।
3. हमेशा सत्य का साथ दें:
भगवान श्री कृष्ण ने हमेशा सत्य, न्याय का साथ दिया पांडव सच्चाई पर थे इसलिये उनको विजय दिलाई, न की अनीति पर चलने वाले कौरवों को।
4. भीतर के भय को दूर करें:
श्री कृष्ण ने अपनी कम उम्र में ही बड़े से बड़े राक्षसों को मारकर गिरा दिया था, वह किसी से डरते नहीं थे।
5. जीवन में अहंकार का त्याग करें:

श्री कृष्ण भगवान होते हुए भी उन्होंने अपने जीवन में कभी अहंकार नहीं किया वो अर्जुन के सारथी भी बन गये।
6. हमेशा दोस्ती निभाएं:
भगवान श्री कृष्ण व सुदामा साथ- साथ रहते, गुरुकुल में पढ़ाई किया। श्री कृष्ण राजा बन गये थे फिर भी सुदामा की झोपडी को महल में बदलकर दोस्ती का फर्ज निभाया।
7. प्रेम व भावनाओं का आदर करें:
भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवन में सबका सम्मान किया तथा वो सबसे प्रेम करते थे। उन्होंने भाव को महत्व दिया। दुर्योधन के राजमहल में 56 भोग नहीं खाये लेकिन भाव के कारण विदुर- विदुरानी के घर केले के छिलके खा लिये।
भगवान श्री कृष्ण 16 कलाओ के भी धनी थे…
सोलह कलाएं निम्न प्रकार हैं:
श्री धन – संपदा, भू- अंचल सम्पति, कीर्ति, इला, लीला, कांति, विद्या, विमला, उत्कर्षिणि, ज्ञान, क्रिया, योग, प्रहवि, सत्य, इसना, अनुग्रह।
– स्वामी सत्यप्रकाश
(आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक वक्ता, योगी व लेखक)