
राजधानी दिल्ली लगभग बन चुके नए संसद भवन की पहली झलकियां हम सभी के बीच आ चुकी हैं इसका कार्य निरंतर प्रगति पर हैं और जल्द ही यह पूरा बनकर तैयार हो जाएगा। यह जो झलकियां भव्यता का एहसास करवा रही है
25 महीने और 970 करोड़ में बनेगी नई संसद: इसी हफ्ते उद्घाटन होने की है उम्मीद, इसके साथ ही करीब 100 साल की सर्विस के बाद देश का पुराना संसद भवन रिटायर होने वाला है। नई संसद बनकर लगभग तैयार है। इस इमारत में प्रवेश के लिए सांसदों के नए पहचान पत्र बन रहे हैं। नए ऑडियो-विजुअल डिवाइस की ट्रेनिंग दी जा रही है। 31 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में राष्ट्रपति का अभिभाषण नए भवन में होने की उम्मीद है।

नए संसद भवन से जुड़ी हुई महत्त्वपूर्ण बातें
● 10 दिसंबर 2022 को पुराने संसद भवन के ठीक सामने नए संसद भवन का शिलान्यास किया गया था
● हालांकि पुरानी बिल्डिंग गोल है लेकिन नए भवन के आर्किटेक्चर विमल पटेल ने इसे ट्राएंगूलर का रूप दिया है।
● नए संसद भवन के बीचो बीच कॉन्स्टिट्यूशन अल होल है,जहाँ पर अशोक स्तंभ लगा हुआ है
●नया संसद भवन पूरी तरह से भूकंपरोधी होगा
● नया संसद भवन कुल 64,500 वर्ग मीटर एरिया में बन रहा है। यह इमारत 4 मंजिला होगी।
● नए संसद भवन में जाने के 6 रास्ते होंगे। एक एंट्रेंस पीएम और प्रेसिडेंट के लिए होगा। एक लोकसभा के स्पीकर, एक राज्य सभा के चेयरपरसन, सांसदों के प्रवेश के लिए 1 एंट्रेंस और 2 पब्लिक एंट्रेंस होगा।
●नए संसद भवन में कुल 120 आफिस होंगे।
●लोकसभा चैंबर में एक साथ बैठ सकेंगे 1224 सदस्य
● नए संसद भवन में कुल 120 आफिस होंगे
● राज्यसभा में एक साथ बैठ सकेंगे 384 सदस्य
पुराने संसद भवन का संक्षिप्त परिचय
पुराना संसद भवन का डिजाइन रबर्ट बेकर द्वारा किया गया, संसद भवन का निर्माण 1921-1927 के दौरान किया गया था। इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को हुआ था। संसद भवन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसकी तुलना विश्व के सर्वोत्तम संसद भवनों के साथ की जा सकती है।जिसका व्यास 560 फुट तथा जिसका घेरा 533 मीटर है। यह लगभग छह एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। भवन के 12 दरवाजे हैं, जिनमें से पाँच के सामने द्वार मंडप बने हुए हैं। यह हल्के पीले रंग के 144 खंभों की कतार से सुसज्जिजत है, जिनमें प्रत्येक की ऊँचाई 27 फुट है। इसमें लंबे-चौड़े लॉन, जलाशय, फव्वारे और सड़कें बनी हुई हैं। यह सारा परिसर सजावटी लाल पत्थर की दीवारों तथा लोहे के जंगलों और लोहे के ही विशाल दरवाजों से घिरा हुआ है। भले ही इसका डिजाइन विदेशी वास्तुकारों ने बनाया था किंतु इस भवन का निर्माण भारतीय सामग्री से तथा भारतीय श्रमिकों द्वारा किया गया था। तभी इसकी वास्तुतकला पर भारतीय परंपराओं की गहरी छाप है। वर्तमान परिदृश्य से पुरानी संसद भवन की महत्ता इसी प्रकार से बनी रहेगी और उसका भी निरंतर कार्यालय प्रयोग में लिया जाएगा
