हर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफल होना चाहता हैं, अपने जीवन को महान बनाना चाहता हैं, कैसे भी करके अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहता हैं। वह कोशिश भी करता हैं। व्यक्ति के जीवन में समय ही व्यक्ति को पुरस्कृत करता हैं तथा समय ही व्यक्ति का तिरस्कृत करता हैं। और जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता हैं, समय को सार्थक करता हैं तो समय उसको पुरस्कृत करता हैं।

समय का पुरस्कार उस व्यक्ति को मिलता हैं। जिनकी सोच सकारात्मक हो, और श्रम की दिशा निर्धारित हो, वो समय के हाथों से पुरस्कृत होते हैं, तथा जिनका श्रम दिशाविहीन हैं, नकारात्मक सोच हैं वो व्यक्ति समय के हाथों तिरस्कृत होते हैं।
व्यक्ति के पास मूलभूत सम्पदा दो ही हैं विचार और श्रम, इनका सही समुचित और समयबद्ध उपयोग करके वह अपने जीवन में सफल, यशस्वी व क्षमतावान बन सकता हैं। और जो इसका सकारात्मक व समयबद्ध सदुपयोग नहीं कर सकता वह असफल, अपयश का पात्र व असमर्थ बना रहता हैं। जीवन किसी का भी क्यों न हो, कार्यछेत्र कोई भी हो सफलता पाने के लिये समय के सूत्र में विचारशीलता और श्रमशीलता को पिरोना ही पड़ता हैं।
अपना जीवन महान हैं, विधाता के द्वारा निर्धारित किया गया समय सदुपयोग से ही जीवन अनुचित ढंग से परिभाषित किया जा सकता हैं। समय की पाबंदी के लिए स्वयं में कुछ सुधार करना पड़ेगा, इसलिये गंभीरतापूर्वक समय का पूर्ण लेखा जोखा रखना पड़ेगा। प्रतिदिन किस चीज में कितना समय लगता हैं, यह हमारे संज्ञान में होना चाहिए।
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उदाहरण किसी से हम फोन पर बात करते है, बिना उद्देश्य वार्तालाप करते हैं। हमको यह मालूम रहें वह समय कहाँ हमें लगाना हैं और कितना समय व्यर्थ गया हैं। क्यूंकि समय के सदुपयोग से जीवन का निर्माण होता हैं।
कुछ मुख्य बातें अपनाये:
• अपनी दैनिक दिनचर्या को सुव्यवस्थित करें।
• अपने कार्यों की सूची बनाएं, उन्हें समय पर करें।
• समय का सदुपयोग व पूर्णतः सार्थक करें।
• बारह की फिजूल बातों पर ध्यान न देकर अपने लक्ष्य पर ध्यान दें।
• हर दिन कुछ नया सीखें, नया अनुभव प्राप्त करें।
• आपके बारे में कोई कुछ भी कहें, उनकी बातों पर बिल्कुल ध्यान न दें।
जब आप अपने कार्यों को करने में पूरी लगन व मेहनत से लग जायेंगे तो आपको निश्चित ही सफलता हासिल होगी।
– स्वामी सत्यप्रकाश
(आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक वक्ता व लेखक)