अध्यात्म के बिना मानव जीवन अधूरा हैं। अध्यात्म एक जीवन निर्माण का मूल सूत्र हैं, दिशा हैं पथ हैं। मानव मात्र के लिए अध्यात्म महत्वपूर्ण हैं। जीवन की शुरुआत संस्कारों से होती हैं और संस्कार हमें अध्यात्म से मिलते हैं। हमारे पूर्वजों ने जैसा हमें संस्कार व शिक्षा दी वैसा हम जीने का प्रयास करते हैं। अपने जीवन में कर्म करके शांति से जीवन यापन करना चाहते हैं।

मनुष्य का मूल अध्यात्म हैं, उसे पुनर्जन्म के संस्कार माता के गर्भ में ही प्राप्त हो जाते हैं। परमात्मा व उनकी मूर्ति में श्रद्धा, ईश्वरीय शक्ति में विश्वास, सम्मान, बड़े व गुरुजनों के प्रति सम्मान आदि यह सब संस्कार अध्यात्म से बचपन में ही प्राप्त हो जाते हैं।
मनुष्य का जन्म होता हैं, बड़ा, जवान, वृद्ध हो जाता हैं। इस जीवन रूपी यात्रा में वह अध्यात्म से बहुत कुछ सीखता हैं और अनुभव भी करता हैं। अध्यात्म से व्यक्ति को भीतर से आत्मविश्वास व मानसिकत बल मिलता हैं, व्यक्ति चाहे कैसा भी जीवन जी रहा हो, मन अशांत, व्याकुल या अस्थिर हो उसे सद्ग्रंथ व अध्यात्म का सहारा मिल जाये तो जीवन की यात्रा और सुगम व सरल हो जाती हैं।

व्यक्ति के जीवन में कई तरह के पड़ाव आते रहते हैं। कभी सुःख, कभी दुःख, विपदाएं, परेशानियाँ, कठिनाईयां आदि का सामना करते करते सकारात्मक ऊर्जा नहीं मिलने के कारण व्यक्ति थक जाता हैं, हार जाता हैं, टूट जाता हैं। आत्महत्या तक कर लेता हैं। परन्तु जिस व्यक्ति के जीवन में अध्यात्म हो और आदर्श महापुरुषों के प्रेरक जीवन चरित्र, उनके संघर्ष की कहानिया व उनके त्याग व साहस का स्वाध्याय हो तो उसे भीतर से सकारात्मक ऊर्जा का बल प्राप्त होता हैं।
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वह अपने आपको कमजोर नहीं बल्कि मजबूत महसूस करता हैं। अध्यात्म में वो शक्ति हैं जो हारे हुए जीवन को जित में बदल देता हैं। अध्यात्म के बहुत सारे अंग हैं योग, प्राणायाम, ध्यान, आदि के माध्यम से व्यक्ति अपने आप को भीतर से मज़बूत बना सकता हैं। जो व्यक्ति अपने जीवन में अध्यात्म को अपना लेता हैं, वो जीवन में कभी संसार की कैसी भी स्थिति – परिस्थिति में कभी हार नहीं सकता…वो जीत जाता हैं।
– स्वामी सत्यप्रकाश
(आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक वक्ता व लेखक )